राममंदिर का असर कन्हैया की नगरी पर, आधा रह गया मंदिरों का चढ़ावा, श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ी गिरावट

फाल्गुन मास की पूर्णिमा से ब्रजभूमि में फिजा में गुलाल-अबीर उड़ने लगता है. तीर्थयात्रियों के माथे और गाल पर दमकता गुलाल अलग ही रंगत बिखेरता है. हर पूर्णिमा पर गोवर्धन की सात कोसी परिक्रमा में भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है, लेकिन इस बार पूर्णिमा पर ना तो कहीं गुलाल छिटका दिखाई दिया और ना ही परिक्रमा में राधे-राधे पुकारते भक्तों की भीड़ नजर आ रही थी. परिक्रमा तो चल रही थी, लेकिन चंद लोगों की बिखरी हुई टुकड़ियों के साथ.

कुछ ऐसा ही नजारा गावर्धन के प्रमुख मंदिर दानघाटी, लक्ष्मीनारायण मंदिर, मानसी गंगा और हरगोकुल महाराज मंदिर में देखने को मिला. मंदिर के आंगन सूने थे. पता करने पर मालूम हुआ है कि अयोध्या में राम मंदिर का असर कान्हा की ब्रजभूमि तक पर दिखाई दे रहा है. इस साल 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई और भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ. इस दिन से ही अयोध्या में रोजाना ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. राममंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन रामलला के दर्शन कर रहे हैं. भक्तों का अध्योध्या की तरफ झुकाव का असर अन्य तीर्थ स्थलों पर साफ-साफ देखने को मिल रहा है. जानकारी के अनुसार, 22 जनवरी से 22 फरवरी के बीच अयोध्या राम मंदिर में 25 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ा है. वहीं, दिल्ली से महज 170 किलोमीटर दूर भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और कर्मस्थली ब्रजभूमि भक्तों की बाट जोट रही है. आलम ये है कि गोवर्धन में मंदिरों में चढ़ने वाले चढ़ावे (दान-दक्षिणा) और मंदिरों के आसपास की दुकानों की बिक्री पर 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है.

दानघाटी मंदिर के चढ़ावे में 40 फीसदी की गिरावट
गोवर्धन के मंदिरों में पुजारी परम्परा अन्य मंदिरों से कुछ हटकर है. यहां हर 40 के लिए बोली लगाकार ठाकुरजी की सेवा का ठेका उठाया जाता है. गोवर्धन में गुधेनिया परिवार को ही दानघाटी और बड़ा बाजार स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर की सेवा-अर्चना का अधिकार है. मानसी गंगा स्थित मुखारविंद और हरगोकुल महाराज के मंदिर की सेवा 10 बिसा के पुरोहित परिवारों के पास रहती है. इन परिवारों में आपसी विवाद के चलते बोली लगाकार सेवा-अर्चना का ठेका उठाए जाने का चलन है.

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दानघाटी के वर्तमान में मुख्य पुजारी रामबाबू पुरोहित का कहना है कि अयोध्या में राममंदिर के उद्घाटन के बाद से गोवर्धन में भक्तों की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिली है. उन्होंने बताया कि यहां दानघाटी के मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आई है. दानघाटी मंदिर बाहर फूल-माला और प्रसाद बेचने वाले सोनू पुरोहित ने बताया कि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से उनकी बिक्री पर बड़ा असर पड़ा है.

बड़ा बाजार स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर के मंहत विष्णु पंडित ने बताया कि मध्य जनवरी से मध्य मार्च के बीच मंदिर में चढ़ने वाले दान आदि में बड़ी गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि ब्रज में होली का उत्सव शुरू हो गया है, इसके बाद भी श्रद्धालु नदारद हैं.

क्या है ठेकेदारी प्रथा
किसी समय में गोवर्धन की राजनीति और मंदिरों की सेवा आदि एक ही छत्र के नीचे आती थी. परिवार बढ़ने के साथ गोवर्धन का समाज गुधेनिया और परवारिया परिवार में बँट गया. परवरिया परिवार के हिस्से में आई राजनीति. यानी गोवर्धन नगर पंचायत का मुखिया परवारिया परिवार से ही होता है. गुधेनिया परिवार उनमें दखलंदाजी नहीं कर सकता. और गुधेनिया परिवार के हिस्से में आई दानघाटी और लक्ष्मीनारायण मंदिर की सेवा. यहां परवारिया परिवार की कोई दखलंदाजी नहीं है. दानघाटी मंदिर गोवर्धन का प्रमुख मंदिर है और यहां से ही मुख्य परिक्रमा शुरू होती है. किसी समय में परिवार के सदस्यों के हिसाब से दानघाटी और लक्ष्मी नारायण मंदिर की सेवा लोगों के हिस्से में आती रहती थी. लेकिन यहां भी विवाद होने से यह मामला कोर्ट में चला गया और गुधेनिया परिवार द्वारा ही बोली लगातार सेवा का चलन शुरू हुआ.

दानघाटी मंदिर की 40 दिन की सेवा की बोली का रिजर्व प्राइज 50 लाख रुपये है. यानी बोली 50 लाख रुपये से शुरू होती है. जो व्यक्ति जितनी अधिक बोली लगाता है 40 दिन की सेवा उसके पास चली जाती है. बोली का पैसा भारतीय यूनियन बैंक में खुले ट्रस्ट के खाते में जमा हो जाता है. यह पैसा मंदिर के विकास आदि पर खर्च किया जाता है. लक्ष्मीनारायण मंदिर की बोली 50,000 रुपये से शुरू होती है.

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